THE ULTIMATE GUIDE TO कैसे आत्मविश्वास बढ़ाएं

The Ultimate Guide To कैसे आत्मविश्वास बढ़ाएं

The Ultimate Guide To कैसे आत्मविश्वास बढ़ाएं

Blog Article

विजय ने जवाब दिया, “भालू ने मुझे तुम जैसे दोस्तों से दूर रहने के लिए कहा …” और अपने रास्ते पर चला गया।

व्यक्ति गुस्से से तिलमिला उठा और बोला तुम्हें पता नहीं की मुझे बड़ा काम करने जाना है, बड़ा आदमी बनना है, मुझे जरा जल्दी है। 

मुश्किलों का हल – भगवान बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी

इस प्रसंग से सीख – दोस्तों ! मांस वह खाता है जो मांसाहारी होता है और जिसके दांत मांस खाने के लिए बने होते है. जब हम किसी भी जानवर का मांस खाते है तो हम भी कही न कही उस जानवर की मौत के जिम्मेदार होते है.

“आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान बचाई।”

.?" शास्त्री जी की यह सादगी और दिखावे से परे का व्यक्तित्व हर व्यक्ति के लिए बहुत प्रेरक प्रसंग माना जाएगा।

गाँधी जी उसे बहुत पसंद करते थे. एक बार किसी समारोह के मौके पर गाँधी जी को मिठाई बाँटने का काम सौंपा गया.

हंस ने हंसिनी को समझाते हुए कहा कि किसी तरह यहाँ आज की रात काट लेते हैं, क्योंकि अब मुझे समझ आ गया है कि यह जगह इतना सुनसान क्यों है। इस तरह का उल्लू जिस जगह पर रहेगा वहां वीरान तो रहेगा ना। 

I also decided to not eat animal products. The 3 amazing adopted pet dogs who share my property are no distinct from your cows, pigs and chickens whose flesh we pile on our plates. They Imagine and truly feel and are A part of a household. By likely vegan, I’m preserving animals’ life and serving to the setting—meat production poisons the air and water. Good wellness, a transparent conscience, a cleaner planet—that’s a heady mix.” These careers could make you a millionaire before you decide to retire.

अपने भाई को कर्ज से मुक्त कराने के लिए गाँधी जी ने अपना सोने का कड़ा बेंच दिया और उसके पैसे अपने भाई को दे दिए.

आज मत बिगाडो – भगवान बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी

पचास बार प्रयास करने के उपरांत मूर्तिकार ने अंतिम बार प्रयास करने के उद्देश्य से हथौड़ा उठाया, किंतु यह सोचकर हथौड़े पर प्रहार करने के पूर्व ही उसने हाथ खींच लिया कि जब पचास बार वार करने से पत्थर नहीं टूटा, तो अब क्या टूटेगा.

सही राह – भगवान बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी

“कुछ खास नहीं। अस्सी साल मैं खुशी का पीछा कर रहा more info था, और यह बेकार था। और फिर मैंने खुशी के बिना जीने का फैसला किया और बस जीवन का आनंद लिया। इसलिए मैं अब खुश हूं।

Report this page